Akbar Birbal Stories in Hindi Pdf Free Download / अकबर बीरबल की 8 कहानी

Akbar Birbal Stories in Hindi Pdf Free Download जब कभी दरबार में अकबर और बीरबल अकेले होते थे तो किसी ना किसी बात पर बहस छिड़ ही जाती थी।

 

 

 

एक दिन अकबर बैगन की सब्जी की खूब तारीफ़ कर रहे थे और बीरबल भी उनकी हाँ में हाँ मिला रहे थे।  इतना ही अपनी तरफ से दो – चार वाक्य जोड़ देते थे।

 

 

 

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अचानक से अकबर के मन में एक सवाल उठा।  उन्होने सोचा, ” देखते हैं बीरबल अपनी बात कहाँ तक निभाते हैं। यह सोचकर अचानक से वे बैगन की बुराई करने लगे।  ”

 

 

 

Akbar Birbal Short Stories in Hindi Pdf Free Download 

 

 

 

 

यह क्या बीरबल भी अब बैगन की बुराई करने लगे।  उन्होंने कहा, ” बैगन बहुत ही बुरी चीज है।  इसके खाने से शरीर में तमाम बीमारियां  हो जाती हैं।

 

 

बीरबल की बात सुनकर अकबर हैरान रह गए।  उन्होंने कहा, ” तुम तो बड़े अजीब हो।  तुम्हारी बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।  कभी तुम बैगन की तारीफ़ करते हो तो कभी उसकी बुराई।  आखिर ऐसा क्यों भाई ? ”

 

 

 

बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, ” बादशाह सलामत, मैं आपका नौकर हूँ, बैंगन का नहीं। ”

 

 

 

2- Akbar Birbal Stories Pdf Free Download एक बार अकबर ने भरे दरबार में अपने दरबारियों से पूछा, ” एक बात बताओ, किस नदी का पानी सबसे अच्छा है। ”

 

 

 

सभी दरबारियों ने एकमत से उत्तर दिया, ” गंगा का पानी सबसे स्वच्छ और अच्छा है। ” लेकिन बीरबल ने कोई जवाब नहीं दिया।  इसपर अकबर बोले, ” बीरबल तुम क्यों चुप हो ? क्या तुम्हे कुछ शक है ? ”

 

 

 

अकबर बीरबल की 7 कहानी

 

 

 

बीरबल बोले, ” बादशाह सलामत, यमुना नदी का पानी सबसे अच्छा होता है। ” यह उत्तर सुनकर अकबर हैरानी से बोले, ” ऐसा कैसे ? जबकि तुम्हारे धर्मग्रंथों में तो गंगा नदी का पानी सबसे शुद्ध और पवित्र बताया गया है, जबकि तुम कह रहे यमुना नदी का पानी अच्छा होता है। ”

 

 

 

बीरबल ने कहा, ” हुजूर, मैं भला पानी तुलना अमृत से कैसे कर सकता हूँ। गंगा नदी में बहाने वाला पानी, पानी नहीं बल्कि अमृत है।  इसीलिए मैंने कहा पानी यमुना का सबसे अच्छा है। ” बादशाह और सभी दरबारी निरुत्तर हो गए।

 

 

 

 

३- बादशाह अकबर की आदत थी कि वह दरबारियों से तरह – तरह का प्रश्न किया करते थे।  एक दिन बादशाह ने दरबारियों से पूछा, ” अगर सबकी दाढ़ी आग लग जाए, जिसमें मैं भी शामिल हूँ तो आप सबसे पहले किसकी दाढ़ी की आग बुझाएंगे ? ”

 

 

 

सबने एक स्वर में कहा, ” हुजूर, आपकी दाढ़ी। ”

 

 

 

मगर बीरबल ने कहा, ” हुजूर, सर्वप्रथम मैं अपनी दाढ़ी की आग बुझाऊंगा फिर किसी और की। ” अकबर बीरबल के उत्तर से प्रसन्न होते हुए बोले, ” बीरबल को छोड़कर सभी लोग झूठ बोल रहे थे।  सच तो यही है कि हर कोई सबसे पहले अपने बारे में सोचता है। ”

 

 

 

 

Akbar Birbal Ki Kahani in Hindi / अकबर बीरबल की कहानी इन हिंदी

 

 

 

 

४-  एक दिन अकबर और बीरबल वन में विहार के लिए गए।  एक टेढें पेड़ की ओर इशारा करते हुए अकबर ने बीरबल से कहा, ” यह दरख़्त टेढ़ा क्यों है ? ”

 

 

 

बीरबल ने जवाब दिया, ” यह इसलिए टेढ़ा है क्योंकि यह जंगल के तमाम पेड़ों का साला है। ” बादशाह ने पूछा, ” तुम भला ऐसा कैसे कह सकते  हो ? ”

 

 

 

बीरबल ने कहा, ”  दुनिया में ये बात मशहुर हैं कि कुत्ते की दुम और साले हमेशा टेढे होते हैं। .” अकबर ने पूछा, ” क्या मेरा साला भी टेढा है? ”

 

 

 

बीरबल ने फ़ौरन कहा, ” बेशक जहाँपनाह। ” अकबर ने कहा, ” ऐसी बात है तो मेरे टेढ़े साले को फांसी पर चढ़ा दिया जाये।  आदेश का पालन हो। ”

 

 

 

Akbar Birbal Short Stories in Hindi Pdf

 

 

 

 

यह बात सुनते ही अकबर का साला बेहद परेशान हो गया।  वह भागा – भागा बीरबल के पास पहुंचा और बीरबल से इससे बचने का उपाय पूछा।

 

 

 

बीरबल ने कहा, ” ठीक है।  मैं कुछ करता हूँ।  तुम चिंता मत करो। ”

 

 

 

फांसी का समय आ गया।  बीरबल ने फांसी के तीन तख्ते लगवाए, ” एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का। ” यह सब देखकर अकबर ने पूछा, ” यह सब क्या है। तीन तख़्त क्यों ? ”

 

 

 

 

बीरबल ने कहा, ” हुजूर, सोने का तख़्त आपके लिए, चांदी का मेरे लिए और लोहे का तख्ता आपके साले के लिए। अकबर ने अचरज से पूछा, ” मेरे और तुम्हारे लिए क्यों भला ? ”

 

 

 

बिरबल ने कहा, ” हम भी तो आखिर किसी ना किसी के साले हैं। ” बादशाह अकबर हंस पड़े और साले साहब के जान में जान आयी।  वह बाइज्जत बरी हो गया।

 

 

 

 

५- बादशाह अकबर प्रायः भेष बदलकर सैर के निकलते थे।  एक दिन वे भेष बदलकर बीरबल के साथ शहर के बाहर एक गाँव में पहुंचे। वहा बादशाह ने देखा, ” एक कुत्ता कई दिनों की सूखी और काली पड़ गयी रोटी को चबा – चबाकर खा रहा था। ”

 

 

 

अचानक बादशाह को एक मज़ाक सुझा।  उन्होंने कहा, ” बीरबल ! देखो वह कुत्ता काली को खा रहा है। ” दरअसल ‘ काली ‘ बीरबल की माँ का नाम था।

 

 

 

 

बीरबल समझ गए कि अकबर मज़ाक कर रहे हैं। उन्होंने शान्ति से कहा, ” आलमपनाह, यह उनके लिए जिन्दगी और नेमत है। ” दरअसल नेमत बादशाह की माँ का नाम था।  बीरबल के जवाब पर अकबर चुप हो गए।

 

 

 

6- एक बार बीरबल ने अकबर को एक कहावत सुनाई, ” खाकर लेट जा और मारकर भाग जा “, यह सयाने लोगों की पहचान है। जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें कभी भी किसी प्रकार का दुःख नहीं उठाना पड़ता है। ”

 

 

 

 

एक दिन अकबर को  अचानक ही बीरबल की यह कहावत याद आ गई। उन्होंने सोचा, ” दोपहर का समय है, जरूर ही बीरबल खाने के बाद लेटा होगा। आज उसकी बात को गलत सिद्ध करता हूँ। ”

 

 

 

 

यह सोचकर उन्होंने अपने नौकर को पास बुलाया और उसे पूरी बात समझाकर बीरबल को बुलाने के लिए भेज दिया। नौकर ने बीरबल से कहा, ” बादशाह ने आपको तुरंत ही आने को कहा है। ”

 

 

 

बीरबल को इसीलिए तो बुद्धिमान कहा गया है।  उन्होंने पूरा माज़रा समझ लिया।  वे समझ गए आखिर इस समय बादशाह अकबर क्यों बुला रहे हैं।

 

 

 

Short stories of Akbar and Birbal in Hindi with Moral and Pictures

 

 

 

 

इसलिए बीरबल ने नौकर से कहा, ” ज़रा रुको।  मैं कपडे बदलकर आता हूँ। ” उस दिन बीरबल ने पहनने के लिए चुस्त पैजामा चुना।  पैजामे को पहनने के लिए वे कुछ समय के लिए बिस्तर पर लेट गए और उसके बाद वे कुछ देर तक बिस्तर पर लेटे रहे और उसके बाद वे नौकर के साथ चल  लिए। ”

 

 

 

जब बीरबल दरबार में पहुंचे तो अकबर ने उनसे कहा, ” क्यों बीरबल, आज तुम खाना खाने के बाद लेटे की नहीं ? ” इसपर बीरबल बोले, ” बिलकुल लेता था जहाँपनाह। ”

 

 

 

 

इसपर अकबर क्रोधित होते हुए बोले, ” इसका मतलब तुमने मेरे आदेश का पालन नहीं किया। तुम्हे इसकी सज़ा मिलेगी। इसपर बीरबल बोले, ” मैंने आपके आदेश की अवहेलना नहीं की। आप चाहे तो पैगाम लाने वाले नौकर से भी पूछ सकते हैं।  वह तो मेरा चुस्त पैजामा सही से फिट नहीं हो रहा था और इसलिए मुझे थोड़ा लेटना पड़ा। ” अकबर बीरबल की बात को समझ गए और मुस्कुराने लगे।

 

 

 

Akbar Birbal Moral Stories in Hindi Pdf

 

 

 

 

7- एक दिन अकबर और बीरबल बाग़ में सैर कर रहे थे। बीरबल चुकुले सूना रहे थी और अकबर उसका मजा ले रहे थे।  तभी अकबर को एक बांस का टुकड़ा दिखाई दिया। उनके मन में हुआ क्यों ना बीरबल की परीक्षा ली जाए।

 

 

 

अकबर ने बीरबल को बांस का टुकड़ा दिखाते हुए कहा, ” क्या तुम इस बांस को बिना काटे छोटा कर सकते हो ? ” बीरबल चुकुला सुनाते – सुनाते रुक गए और अकबर की तरफ देखे।

 

 

 

अकबर कुटिलता से मुस्कुराये।  बीरबल समझ गए  कि अकबर मज़ाक के मूड में है।  उन्होंने सोचा, ” जब सवाल ही बेसिर – पैर का है तो जवाब भी वैसा ही होना चाहिए। ”

 

 

 

 

बीरबल ने इधर – उधर देखा, तभी उन्होंने देखा एक आदमी हाथ में लंबा बांस लेकर जा रहा था।  उन्होंने उस आदमी को रोका और उसकी हाथ से बांस लेकर दोनों बाँसो की तुलना करते हुए अकबर से कहा, ” देखिये हो गया ना बांस छोटा।  ” बादशाह अकबर बीरबल की चतुरायी से मुस्कुरा उठे।

 

 

 

8- Akbar Birbal Stories in Hindi with Pictures Pdf एक बार की बात है बीरबल अपने गाँव से गुजर रहे थे, तभी उन्हें किसी के रोने की आवाज सुनाई दी।  उन्होंने चारो तरफ देखा तो उन्हें एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया।

 

 

 

बीरबल ने जब पास जाकर देखा तो उन्होंने देखा कि वह बादशाह अकबर के बगीचे काम करने वाले माली थे।  बीरबल ने उनसे पूछा, ” क्या हुआ ? क्यों रो रहे हो ? ”

 

 

 

इसपर उसने कहा, ” मैंने शाही बगीचे  में आम के पेड़ के नीचे पैसों से भरा मटका रखा था।  वह मेरे जीवन की जमा-पूंजी थी, लेकिन अब वह वहाँ नहीं है।  अब आप ही बताइये मैं क्या करूँ ? ”

 

 

 

इसपर बीरबल ने कहा, ” आप बिलकुल भी चिंता ना करें।  आपका मटका आपको जरूर मिलेगा।  ” यह कहकर बीरबल वहाँ से निकल गए और रास्ते भर सोचते रहे, ” आखिर वह मटका कौन निकाल सकता है ? क्योंकि उस बागीचे में बादशाह अकबर, बीरबल और उस माली के अतिरिक्त किसी के भी जाने की इज़ाज़त नहीं थी। ”

 

 

काफी सोचने के बाद उन्हें याद आया कि जड़ी – बूटी लेने के लिए हकीम साहेब जरूर उस बगीचे में आ सकते हैं। उन्होंने महल में मौजूद मंत्रियों से पूछा, ” इस समय कौन – कौन हकीम जी से इलाज करवा रहा है ? ”

 

 

 

इसपर एक मंत्री ने कहा, ” मैं अपने पेट दर्द का इलाज मंत्री जी से करवा रहा हूँ।  मुझे पेटदर्द के साथ ही दस्त भी हो रहा था, अभी कुछ आराम है। दस्त की दवाई के लिए हकीम जी ने आप के पेड़ की जड़ की दवा बनाई थी। ”

 

 

 

अब बीरबल का शक हकीम की तरफ बढ़ गया।  जब हकीम जी दरबार में पहुंचे तो बीरबल ने उनसे कहा, ” हकीम जी, मेरा पेट दर्द कर रहा है और दस्त की भी परेशानी है।  कृपया इसकी कोई दवाई दीजिये।  ”

 

 

 

इसपर हकीम ने कहा, ” मेरे पास ऐसी दवाई है जिससे आपकी तुरंत ही ठीक हो जायेगी।  मैंने यही दवाई मंत्री जी को भी दी थी, अब उन्हें आराम हो रहा है, लेकिन यह दवाई केवल आम के पेड़ की जड़ से ही बन सकती है।  ”

 

 

 

जैसे ही हकीम जी ने यह बात कही तो बीरबल का शक और भी गहरा हो गया।  बीरबल ने तुरंत ही कहा, ” तब तो वहाँ गड़े मटके के बारे में भी पता होगा, बताओ वह मटका कहाँ है ? ”

 

इसपर हकीम जी ने कहा, ” हुजूर, मुझे माफ़ कर दीजिये।  मुझे लगा यह मटका वहाँ दबा हुआ है,  इसलिए मैंने निकाल लिया।  मुझे नहीं पता था कि यह किसी ने गाड़ा हुआ था।  ”

 

उसके बाद बीरबल ने माली का मटका वापस दिलवा दिया।  अकबर बादशाह ने बीरबल की खूब तारीफ़ की और हकीम से चोरी के आरोप के कारण शाही पद से हटाने का निर्णय लिया।

 

 

 

लेकिन बीरबल ने कहा, ” चूँकि इन्होने जानबूझ कर पैसे नहीं चुराए थे, बल्कि अनजाने में रख लिए थे और पूछने पर उन्होने बता भी दिए, इसलिए बादशाह सलामत मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इन्हे सजा ना दें। ” अकबर ने बीरबल की बात मान ली और हकीम जी को माफ़ कर दिया।

 

 

 

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Abhishek Pandit

नमस्कार पाठकगणों, मेरा नाम अभिषेक है। मैं मुंबई में रहता हूँ। मुझे हिंदी कहानियां लिखना और पढ़ना बहुत ही पसंद है। मैं कई तरह की हिंदी कहानियां लिखता हूँ। इसमें अकबर बीरबल और तेनालीराम की कहानी दी गयी है। मुझे उम्मीद है कि यह आपको जरूर पसंद आएगी। धन्यवाद।

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